विरासत अपनाओ योजना
पर्यटन मंत्रालय ने पहली बार सितंबर 2017 में “विरासत को अपनाओ” कार्यक्रम शुरू किया था। संस्कृति मंत्रालय द्वारा सितंबर 2023 में “विरासत को अपनाओ 2.0” नामक एक नया संस्करण शुरू किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों/एनजीओ/ट्रस्टों/सोसायटियों आदि के साथ सहयोग के लिए संरचना प्रदान करना है ताकि वे अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड के जरिए संरक्षित स्मारकों में सुविधाएं विकसित/प्रदान कर सकें, ताकि आगंतुकों का अनुभव बेहतर हो, स्मारक को आगंतुक-अनुकूल बनाया जा सके। सुविधाओं को चार व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: स्वच्छता, जिसमें शौचालय, पीने का पानी, अपशिष्ट प्रबंधन, शिशु देखभाल कक्ष आदि शामिल हैं; पहुंच, जिसमें रास्ते, बाधा मुक्त पहुंच, बैटरी चालित वाहन, साइनेज, भूनिर्माण, वाई-फाई सुविधा, पार्किंग आदि शामिल हैं; सुरक्षा जिसमें सीसीटीवी, प्रकाश, अमानती घर (क्लॉक रूम), प्रथम उपचार किट आदि तथा ज्ञान जिसमें पत्रिका, स्मारिका, कियोस्क, सांस्कृतिक/ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम, एआर/वीआर उपकरण, कैफेटेरिया आदि शामिल हैं।
यह कार्यक्रम सभी संरक्षित स्मारकों के लिए खुला है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भागीदार संस्थाओं के बीच अब तक 21 समझौते ज्ञापन निष्पादित किए गए हैं। अब तक अपनाए गए स्मारकों का विवरण अनुलग्नक में संलग्न है।
संगठन/एजेंसी को स्मारकों की संरचना में कोई भी बदलाव करने की अनुमति नहीं है। उन्हें केवल आगंतुकों के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की मंजूरी से निर्टिष्ट सुविधाएं विकसित करने/प्रदान करने की अनुमति है जिससे आगंतुकों का अनुभव बेहतर हो सके।
यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
स्रोत: पीआईबी
(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

