ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम की महारत्न कंपनी आरईसी लिमिटेड ने आरईसी के 54ईसी पूंजीगत लाभ कर छूट बांड में मौजूदा और भावी निवेशकों के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया है। ‘सुगम आरईसी’ नाम का यह मोबाइल ऐप निवेशकों को आरईसी 54ईसी बांड में उनके निवेश का पूरा विवरण प्रदान करेगा।
सुगम आरईसी’ ऐप के जरिए निवेशक अपने ई-बॉन्ड प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकेंगे, नए निवेश के लिए आवेदन कर सकेंगे, केवाईसी अपडेट करने से संबंधित महत्वपूर्ण फॉर्म डाउनलोड कर सकेंगे और कॉल/ईमेल/व्हाट्सएप के माध्यम से आरईसी के निवेशक सेल से भी जुड़ सकेंगे।
मोबाइल एप्लिकेशन को एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर नि:शुल्क डाउनलोड किया जा सकता है।
एप्लिकेशन को त्वरित और आसान डाउनलोड के लिए लिंक नीचे दिए गए हैं:
एंड्रॉइड पर : https://play.google.com/store/apps/details?id=com.rec.org
आईओएस पर : https://apps.apple.com/in/app/sugam-rec/id6468639853
सुगम आरईसी’ आरईसी की कई डिजिटल पहलों में से एक है।
धारा 54ईसी बांड क्या हैं?
धारा 54ईसी बांड एक प्रकार के निश्चित आय वाले वित्तीय उपकरण है जो आयकर अधिनियम की धारा 54ईसी के माध्यम से निवेशकों को पूंजीगत लाभ के तहत कर छूट प्रदान करता है।
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आरईसी के 54ईसी पूंजीगत लाभ कर छूट बांड के बारे में अधिक जानकारी यहां देखें-
आरईसी लिमिटेड के बारे में जानकारी
आरईसी लिमिटेड एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है, जो पूरे भारत में ऊर्जा क्षेत्र के वित्तपोषण और विकास पर ध्यान केंद्रित करती है। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी, जिसके संचालन के पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह राज्य बिजली बोर्डों, राज्य सरकारों, केंद्र/राज्य बिजली उपयोगिताओं, स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों, ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों और निजी क्षेत्र की उपयोगिताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसकी व्यावसायिक गतिविधियों में संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र मूल्य श्रृंखला में परियोजनाओं के साथ-साथ उत्पादन, पारेषण, वितरण तथा नवीकरणीय ऊर्जा में भी विभिन्न प्रकार की परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण शामिल है। आरईसी के वित्त पोषण से भारत में हर चौथा बल्ब रोशन होता है। आरईसी ने हाल ही में बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के वित्त पोषण में भी कार्य करना प्रारंभ किया है।
स्रोत: पीआईबी
(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)