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इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस

इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस

इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस Photo Credit: Twitter

प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कर्नाटक के मैसूर में 9 अप्रैल, 2023 को एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे ग्रह पर रहने वाली सात बिग कैट अर्थात् बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण के लिए इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) का शुभारंभ किया।

भारत को बाघ एजेंडा और शेर, हिम तेंदुआ, तेंदुआ जैसे अन्य बिग कैट के संरक्षण का एक लंबा अनुभव प्राप्त है, अब एक विलुप्त बिग कैट, चीता को उसके प्राकृतिक आवास में पुनः स्थापित करने के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है। इस एलायंस का उद्देश्य बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के प्राकृतिक आवासों को कवर करने वाले 97 रेंज देशों तक पहुंचना है। आईबीसीए वैश्विक सहयोग और जंगली जानवरों, विशेष रूप से बिग कैट संरक्षण की कोशिशों को और मजबूत करेगा।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने बिग कैट संरक्षण की वैश्विक स्थिति पर मंत्रिस्तरीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि बाघों और उनके निवास स्थलों का संरक्षण करने से पृथ्वी पर कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों को सुरक्षित किया जा सकता है, जिससे लाखों लोगों के लिए प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, जल और खाद्य सुरक्षा हो सकती है और वन समुदायों को आजीविका और जीविका उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह एलायंस बिग कैट संरक्षण पर वैश्विक कोशिशों और साझेदारी को मजबूत करेगा, साथ ही ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं का अभिसरण करने के लिए एक मंच विकसित करेगा, मौजूदा प्रजातियों के विशिष्ट अंतर-सरकारी प्लेटफार्मों का समर्थन करेगा और संभावित रेंज आवासों में पुनः प्राप्ति की कोशिशों के लिए प्रत्यक्ष सहायता भी प्रदान करेगा।

श्री यादव ने कहा कि चिरस्थायी विकास और आजीविका सुरक्षा के शुभंकर के रूप में बिग कैट के साथ, भारत और बिग कैट रेंज देश पर्यावरणीय लचीलापन और जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के लिए बड़ी कोशिश कर सकते हैं, साथ ही एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र फलते-फूलते रहें और “अमृत काल” में आर्थिक और विकास नीतियों के केंद्र में बने रहें।

बिग कैट रेंज देशों के मंत्रियों ने बिग कैट संरक्षण में भारत के नेतृत्व को स्वीकार किया और उसकी सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ वन अधिकारियों की कोशिशों की भी प्रशंसा की। बिग कैट रेंज देशों के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस के शुभारंभ वाले महत्वपूर्ण कार्यक्रम पर टिप्पणियां की।

भूटान के वन मंत्री ने अपने भावपूर्ण भाषण में उनका मार्गदर्शन करने के लिए भारत के नेतृत्व को स्वीकार किया। उनकी टिप्पणी कि देवी चामुंडा सभी वन बिरादरी पर अपनी कृपा बरसती रहे और हिंदी में उनके शब्द ‘सब का साथ, सब का विकास, सब का विश्वास और सब का प्रयास’ से पूरा हॉल गूंज उठा।

बांग्लादेश के वन मंत्री ने अपने देश के गौरव सुंदरमणि और चटगांव बाघों का संरक्षण करने की कोशिश में सहायता प्रदान करने के लिए भारत की प्रशंसा की।

कंबोडिया के महामहिम, भारत से बाघों को लेकर जाने और उनका पुनर्वास इलायची पहाड़ियों और श्रीपोक वन्यजीव अभयारण्य में करने के लिए उत्साहित दिखे। उन्होंने अपने द्वारा तैयार की गई पुन: प्रस्तुति योजना के बारे में भी बताया।

केन्या सरकार के वन्यजीव, पर्यटन और संस्कृति मंत्री ने अपने वीडियो संदेश के माध्यम से अपने देश में जंगली जानवरों, विशेष रूप से शेरों की गणना का संचालन और मूल्यांकन करने के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने, अच्छी प्रबंधकीय प्रथाओं को तैयार करने में सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार और भारतीय वन सेवा की सराहना की।

नेपाल के मंत्री ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को स्वीकार किया और एलायंस को सभी सहायता प्रदान करने की पेशकश की।

इथियोपिया के वन मंत्री ने पूरी दुनिया में बिग कैट को बचाने की कोशिश का हिस्सा बनने पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की।

हिज रॉयल हाइनेस द रीजेंट ऑफ पहांग ने भारतीय कोशिशों की प्रशंसा की और मलेशिया में बाघों की आबादी की पुनः प्राप्ति के लिए भारत से सहायता मांगी। इसके अलावा सूरीनाम, आर्मेनिया, तंजानिया, नाइजीरिया, वियतनाम, थाईलैंड और लाओ के मंत्रियों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने भी इस पहल की सराहना की।

केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने भारी समर्थन को स्वीकार करते हुए आईबीसीए के शुभारंभ को आगे ले जाने वाले उपायों पर काम करने का वादा किया और इसमें शामिल होने के लिए सभी लोगों को धन्यवाद दिया।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

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