देश में एक साथ चुनाव कराने के विषय पर केंद्र सरकार द्वारा 2 सितंबर, 2023 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की 14 मार्च, 2024 को राजनीतिक दलों सहित विभिन्न हितधारकों से सुझाव, दृष्टिकोण और टिप्पणियाँ आमंत्रित करने के बाद सौंपीं थी। इस दौरान भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों और राज्य चुनाव आयुक्तों सहित कानून के विशेषज्ञों को समिति के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया था। समिति द्वारा भारत के विधि आयोग जैसे विशेषज्ञ निकायों को भी आमंत्रित किया गया था।
नागरिकों और संगठनों से सुझाव और टिप्पणियाँ आमंत्रित करने के लिए समाचार पत्रों और सोशल मीडिया में एक सार्वजनिक नोटिस भी जारी किया गया था। अन्य हितधारकों जैसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया और शीर्ष व्यापारिक संगठनों जैसे भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) को भी अपने दृष्टिकोण रखने के लिए अवसर दिए गए। देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने भी समिति से बातचीत की। समिति ने 65 बैठकें कीं और व्यापक विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपीं।
सरकार ने अपनी विभिन्न सिफारिशों सहित उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) की पूरी रिपोर्ट आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की है, जिसे https://onoe.gov.in/HLC-Report-en पर देखा जा सकता है।
यह जानकारी कानून और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
स्रोत: पीआईबी
(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)