मानसून आते ही साफ-सफाई और स्वच्छता संबंधी चुनौतियां बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही जलजनित और वेक्टर जनित बीमारियां भी फैल जाती हैं। मानसून से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए सक्रिय उपायों के महत्व को पहचानते हुए, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0 के तहत सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ (एसएबीबी) 1 जुलाई से 31 अगस्त, 2024 तक चलने वाली पहल की शुरुआत की गई है। इस पहल का उद्देश्य शहरी स्थानीय निकायों की तैयारियों को बढ़ाना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे जून से अगस्त के महीनों के दौरान भारी बारिश के कारण स्वास्थ्य जोखिमों से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ‘डायरिया रोको अभियान’- ‘डायरिया की रोकथाम, सफ़ाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान’ के अनुरूप इस पहल का उद्देश्य मानसून के मौसम में सफ़ाई और बीमारियों से जुड़ी बहुआयामी चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच सहयोगात्मक प्रयास और अंतर-क्षेत्रीय तालमेल स्थापित करना है। यह समय की मांग है कि शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में सफ़ाई और स्वच्छता के बारे में विभिन्न पहलों के माध्यम से एक व्यापक दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जाए।
सफाई अपनाओ, बीमारी भगाओ पहल में स्वच्छता, हिमायत और अंतर-विभागीय तालमेल पर ध्यान केंद्रित करने वाले व्यापक उपायों की आवश्यकता है, जिन्हें सभी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा लागू किया जाना है। इस अभियान के प्रमुख तत्वों में विशेष सफाई अभियान, कचरे का संग्रह, परिवहन, सभी सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों की नियमित सफाई, बच्चों के लिए स्वच्छता और साफ सफाई सुविधाएं, पानी की गुणवत्ता का पर्याप्त नमूनाकरण, सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति, जल कार्यों का रखरखाव, आईईसी और घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने की योजना बनाना शामिल हैं। इस पहल में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए तेजी से आकलन करना, सुरक्षा रोकथाम उपचार रणनीति (पीपीटीएस) को अपनाना और समन्वय व निगरानी करना भी शामिल हैं।
आठ सप्ताह तक चलने वाली मानसून-पूर्व और मानसून के दौरान तैयारियों की गतिविधियों में डायरिया प्रबंधन पर विभिन्न कार्यक्रम शुरू करना, बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए अभियान, स्थानीय समुदायों, संगठनों और सरकारी अधिकारियों को जल प्रबंधन, स्वच्छता और सफाई, जागरूकता के बारे में प्रशिक्षण, सभी स्वच्छता कर्मियों को सुविधाओं प्रदान करना तथा स्थानीय गैर सरकारी संगठनों, सामुदायिक समूहों और निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी करना शामिल होगा। सामुदायिक भागीदारी और जन जागरूकता, सामुदायिक जुड़ाव और शिक्षा, वर्षा जल संचयन, मानसून के बाद रखरखाव योजना और एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
स्रोत: पीआईबी
(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)