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कोरोना महामारी का अंत जल्द! सभी प्रमुख वेरिएंट्स की कमजोर नब्ज को वैज्ञानिकों ने पकड़ लिया है,

COVID-19 VACCINE AND VIRUS VARRIENT

COVID-19 VACCINE AND VIRUS VARRIENT

टोरंटो: पिछले लगभग तीन वर्षों से पुरे विश्व में तबाही मचाने वाले कोरोना महामारी के कारण और उसके वैरिएंट्स की पहचान करना अब तक वैज्ञानिकों के लिए चैलेंज बना हुआ है,हाँ ये बात जरूर सराहनीय है कि विश्व के कई देशों ने अपन वैक्सीन लिया और उसे मैराथन स्तर पर जनता की रक्षा के लिए टीकाकरण करवाया,परन्तु उसके बाद भी कई चरणों में इसने अपने पैर फैलाएं और वैज्ञानिको के लिए सरदर्द बना गया,परन्तु समय बलवान होता है अभी कहा जा रहा है कि भारतीय मूल के एक अनुसंधानकर्ता के नेतृत्व में एक टीम ने हाल ही में सामने आए बीए.1 और बीए.2 सहित सार्स-कोव-2 के सभी प्रमुख स्वरूपों की ‘कमजोर नब्ज’ का पता लगाया है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि वायरस की इस कमजोरी को एंटीबॉडी के जरिए निशाना बनाया जा सकता है और संभावित रूप से उस उपचार का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है जो सभी स्वरूपों पर प्रभावी हो। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में बृहस्पतिवार को प्रकाशित अध्ययन में क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (क्रायो-ईएम) का उपयोग वायरस के स्पाइक प्रोटीन के कमजोर स्थान पर किया गया।निशाना बनाया जाएगा वायरस के कमजोर जगह को  
खोजकर्ताओं के अनुसार वायरस के खोजे गए कमजोर स्थान को एंटीबॉडी के जरिए निशाना बनाया जा सकता है जिससे ऐस उपचार का मार्ग प्रशस्त हो सकता है जो सभी स्वरूपों पर कारगर हो। यह अध्ययन भारतीय मूल के अनुसंधानकर्ता श्रीराम सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली टीम ने किया।

मरीजों को मेटफॉर्मिन के इस्तेमाल से फायदा हो रहा है  
एक स्टडी के अनुसार, व्यापक रूप से उपलब्ध मधुमेह की दवा मेटफोर्मिन का उपयोग यदि लक्षणों की शुरुआत के चार दिनों के भीतर शुरू कर दिया जाए तो कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या महामारी से मृत्यु होने का जोखिम आधा हो सकता है। अमेरिका के मिनेसोटा विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लेख किया कि मेटफॉर्मिन, जिसे ग्लूकोफेज के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग 1950 के दशक से “फ्लुमाइन” नामक एंटी-वायरल के रूप में किया जाता रहा है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित होने के बाद स्टडी
गुरुवार को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में  प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया कि यह दवा कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में भी कारगर हो सकती है। इसमें कहा गया है कि लक्षणों की शुरुआत के चार दिनों के भीतर इसका इस्तेमाल शुरू किए जाने से कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने या इस संक्रमण से मृत्यु होने का जोखिम आधा हो सकता है। अध्ययन में 30 साल से अधिक उम्र के 1,323 लोगों को शामिल किया गया।

इससे उम्मीद की जा सकती है कि अनुसंधानकर्ताओं की टीम जल्द ही 100% कारगर उपाय ढूंढ लेंगे और कोरोना महामारी में उन्नमूलन को सही रास्ता देंगे।

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