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गोवा समुद्री सम्मेलन (जीएमसी)–2023 का पूर्वावलोकन

जीएमसी-23

जीएमसी-23 Photo Credit: PIB

गोवा समुद्री सम्मेलन (जीएमसी) – 2023 का चौथा संस्करण 29 से 31 अक्टूबर 2023 तक भारतीय नौसेना द्वारा नेवल वॉर कॉलेज, गोवा के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। यह सम्‍मेलन भारतीय नौसेना की आउटरीच पहल है। यह समुद्री सुरक्षा के अभ्यासकर्ताओं और शिक्षाविदों के सामूहिक ज्ञान को परिणामोन्मुख समुद्री विचार प्राप्त करने और उसका उपयोग करने के लिए एक बहुराष्ट्रीय मंच प्रदान करता है। इस द्विवार्षिक कार्यक्रम के पिछले संस्करण 2017, 2019 और 2021 में आयोजित किए गए थे। यह समसामयिक और भविष्य की समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए नौसेना प्रमुखों/समुद्री एजेंसियों के प्रमुखों द्वारा विचारों के आदान-प्रदान के साथ-साथ सहकारी रणनीतियों को प्रस्तुत करने और साझेदार समुद्री एजेंसियों के बीच अंतरसंचालनता को बढ़ाने के लिए एक मंच उपलब्‍ध कराता है।

जीएमसी के इस वर्ष के संस्करण का विषय “हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा: सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को सहयोगात्मक शमन ढांचे में परिवर्तित करना” है। हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में समुद्री सुरक्षा हासिल करने की दिशा में समुद्री क्षेत्र में ‘समावेशी और सहयोगात्‍मक प्रयासों’ की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। जीएमसी-23 में, भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार 12 हिंद महासागर तटीय क्षेत्रों के नौसेना प्रमुखों/समुद्री बलों के प्रमुखों/वरिष्ठ प्रतिनिधियों की मेजबानी करेंगे जिनमें बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया सहित मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड  शामिल हैं। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस सम्‍मेलन का मुख्य अतिथि बनने के लिए सहमति दे दी है और वह जीएमसी-23 का मुख्य भाषण भी देंगे।

इस सम्‍मेलन के प्रतिभागियों को चार सत्रों में प्रख्यात वक्ताओं और विषय विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का अवसर मिलेगा।

इस सम्‍मेलन के हिस्से के रूप में, आने वाले गणमान्य व्यक्तियों को “मेक इन इंडिया प्रदर्शनी” में भारत के स्वदेशी जहाज निर्माण उद्योग को देखने और स्वदेशी युद्धपोतों के साथ-साथ डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (डीएसआरवी) की क्षमताओं को देखने का अवसर भी उपलब्‍ध कराया जाएगा।

अपने चौथे संस्‍करण में, गोवा समुद्री सम्मेलन आईओआर में क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के लिए क्षेत्रीय समाधान खोजने का प्रयास जारी रहेगा और सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को सहयोगात्मक शमन ढांचे में परिवर्तित करके ‘परिणाम-उन्मुख’ मंच बनाने की अपनी खोज को पूरा करेगा।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

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