सरकार की तरफ से सन् 1970 के दशक में बढ़ती आबादी को रोकने के लिए वन चाइल्ड पॉलिसी का ऐलान किया गया था, लेकिन साल 2016 में इसे खत्म कर दिया गया। चीन इस समय उस संकट से गुजर रहा है जिसमें लगातार लोगों की संख्या कम हो रही है। फैक्ट्रियों और बाकी जगहों पर वृद्धों की संख्या बढ़ती जा रही है। धीमी अर्थव्यवस्था और कमजोर होती आबादी ने देश की चिंताएं बढ़ा दी हैं। वन चाइल्ड पॉलिसी के खत्म होने के बाद चीन की सरकार ने लोगों को तीन बच्चे करने की आजादी दे दी थी। मग पिछले पांच सालों में जन्मदर में बहुत तेजी से गिरावट आई है।
केंद्र और प्रांत की सरकारों से नेशनल हेल्थ कमीशन (NHC) ने अपील की है कि वो मां के स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाएं और देश भर में चाइल्डकेयर सर्विसेज को बेहतर करें। सरकार की तरफ से कई तरह की सुविधाओं का ऐलान किया गया है जिसमें सब्सिडी, टैक्स में छूट और बेहतर हेल्थ इंश्योरेंस जैसे वादे शामिल हैं। साथ ही शिक्षा, घर और युवा परिवारों को रोजगार में मदद का भी वादा किया गया है। सभी प्रांतों को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास 2 से 3 साल के बच्चों के लिए इस साल के अंत तक पर्याप्त संख्या में नर्सरी होनी चाहिए।
चीन के अमीर शहरों में हाउसिंग में छूट, शिक्षा में फायदा और यहां तक कि कैश देने का ऐलान भी किया गया है। इसका मकसद महिलाओं को प्रेरित करना है ताकि वो और बच्चे पैदा कर सकें। चीन में जन्मदर हर 1000 लोगों पर 7.52 फीसदी पर पहुंच गई थी। ये साल 1949 के बाद से सबसे कम है। महंगाई और दूसरी कई वजहों से यहां पर लोग बच्चे नहीं पैदा करना चाहते थे।
ऐसे में चीन को आज सूझ ही गया कि वन चाइल्ड पॉलिसी की नीति को छोड़ देना ही उचित होगा क्योकि आबादी घटी डेमोग्राफिक डिविडेंड का फायदा,सैन्य कमजोरी,निम्न श्रमिक व अन्य देशहित की चींजे कमजोर हो जाएँगी और शातिर चीन को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा