जैन संत विद्यासागर महाराज ने कठिन उपवास और मौन के बाद ब्रह्मलीन हुए
दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का शनिवार रात 2.35 बजे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरि तीर्थ में ब्रह्मलीन हो गए। उन्होंने पूर्ण चैतन्य की अवस्था में आचार्य का पद त्याग दिया और 3 दिनों तक कठिन उपवास और पूर्ण मौन रखा, जिसके उपरांत उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया। उनके ब्रह्मलीन होने की खबर मिलते ही डोंगरगढ़ में जैन समाज के लोग उनके अंतिम दर्शन हेतु इकठ्ठा लगे। आज दोपहर 1 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
आचार्य विद्यासागर महाराज के बारें में:
इनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा गांव में हुआ था, उनके पिता का नाम मल्लप्पा था, जो बाद में मुनि मल्लिसागर बने, इनके 3 भाई और 2 बहनें है, 3 भाई में से 2 जैन मुनि बने तो तीसरे भाई धर्म के काम में लगे है, इसी तरह इनकी बहनों ने भी ब्रह्मचर्य लिया है।आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को 22 नवंबर 1972 को नसीराबाद, अजमेर, राजस्थान में आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज ने आचार्य के रूप में दीक्षा दी थी।
दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज देश के एकमात्र ऐसे आचार्य थे, जिन्होंने अब तक 505 मुनियों, आर्यिकाओं, ऐलकों, क्षुल्लकों को दीक्षा दी है, हालांकि बीते चारों से उन्होंने किसी को दीक्षा नहीं दी थी। अंतिम दीक्षांत समारोह उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में 28 नवंबर 2018 को आयोजित किया गया था, जिसमें 10 मुनियों को दीक्षा दी गई।
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज एक दिगंबर जैन आचार्य (दिगंबर जैन भिक्षु) थे, जिन्हे उनकी असाधारण विद्वता, गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और तपस्या और अनुशासन के जीवन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता थ।
अब नए आचार्य हो सकते है समय सागर जी:
इससे पूर्व मंगलवार 6 फरवरी की दोपहर में उन्होंने मुनियों को अलग से भेजकर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागरजी से चर्चा करने के बाद संघ संबंधी कार्यों से संन्यास ले लिया और उसी दिन उन्होंने आचार्य पद से भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आचार्य पद हेतु सबसे योग्य ऋषि शिष्य निरियापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को समझा और उसके बाद ही उन्हें आचार्य पद पर नियुक्त करने की घोषणा की। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक जानकारी कल दी जा सकती है।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज से चंद्रगिरि पर्वत पर मिलने डोंगरगढ़ पहुंचे थे और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किए थे।
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा… pic.twitter.com/mvJJPbiiwM
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2024

