डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज घोषणा की कि हरित क्रांति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रसिद्ध डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:
“यह अत्यंत प्रसन्ता की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन जी को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत द्वारा कृषि में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम एक प्रर्वतक और संरक्षक के रूप में उनके अमूल्य कार्य को भी पहचानते हैं और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैंने हमेशा उनके दृष्टिकोण और विचारों की कद्र की है।”
कौन है डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन
भारत के विख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने हेतु अहम भूमिका निभाई थी, उन्होंने धान की अत्यधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बहुत बड़ा योगदान दिया था, उन्हीं की देन है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को अत्यधिक अन्न उत्पादन में काफी सहायता मिली थी। इसी वजह है कि इन्हे हरित क्रांति के जनक कहा जाता है। इससे पूर्व स्वामीनाथन को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए 1987 में पहला विश्व खाद्य पुरस्कार भी दिया गया था, इसके अतिरिक्त उन्हें पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से भी सम्मानित किया चूका है।
एम.एस. स्वामीनाथन ने भारत जो 1960 के दशक में अपने लोगों को खिलाने के लिए अमेरिकी गेहूं पर निर्भर था, उसे इनके प्रयास के कारण उससे अधिक भोजन पैदा करने वाले राष्ट्र के रूप में बदल गया है। इस पुरे प्रक्रिया का श्रेय एम.एस. स्वामीनाथन को जाता है। एम.एस. स्वामीनाथन को गेहूं और धान के अलावा आलू की पैदावार बढ़ाने में भी उनके अमूल्य योगदान हेतु जाना जाता है। उन्होंने अपना जीवन खेती में नए प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान को अपनाकर कृषि अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने हेतु समर्पित कर दिया।
डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन या मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन का जन्म 07 अगस्त 1925 को मद्रास के कुंभकोणम में हुआ था, उनकी मुलाकात 1951 में कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान मीना से हुई थी जिनसे बाद में उन्होंने विवाह की थी, उनकी तीन बेटियां हैं- सौम्या स्वामीनाथन (बाल रोग विशेषज्ञ), मधुरा स्वामीनाथन (अर्थशास्त्री) और नित्या स्वामीनाथन (ग्रामीण विकास), डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन का विगत वर्ष 28 सितम्बर 2023 को 98 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया था।
डॉ. स्वामीनाथन ने किसानों और कृषि के विकास हेतु विभिन्न विभागों में प्रमुख जिम्मेदारियाँ संभाली थीं। अपने कार्यकाल के दौरान वे कई प्रमुख पदों पर भी रहे। वे 1961 से 1972 तक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक रहे, इसके बाद 1972 से 1979 तक आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और 1979 से 1980 तक कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव रहे। इसके अलावा 2004 में यूपीए सरकार ने उन्हें किसानों की स्थिति का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ) आयोग के अध्यक्ष के रूप में चुना, उन्होंने 2004 से 2006 तक आयोग को पांच रिपोर्ट सौंपी थीं जिनमें किसानों की स्थिति में सुधार के लिए प्रमुख सुझाव भी दिए गए थे।
It is a matter of immense joy that the Government of India is conferring the Bharat Ratna on Dr. MS Swaminathan Ji, in recognition of his monumental contributions to our nation in agriculture and farmers’ welfare. He played a pivotal role in helping India achieve self-reliance in… pic.twitter.com/OyxFxPeQjZ
— Narendra Modi (@narendramodi) February 9, 2024