तुर्की और इजरायल ने पूर्ण राजनयिक संबंध कर लिए ,इसका दबाव पाकिस्तान और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर बढ़ेगा
तुर्की की तारीफ की है इजरायली पीएम यायर लापिड ने
इस अवसर पर इजरायली पीएम यायर लापिड ने कहा कि तुर्की के साथ संबंधों की बहाली क्षेत्रीय स्थिरता के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इजरायल के नागरिकों के लिए आर्थिक नजरिए से यह बहुत महत्वपूर्ण समाचार है। हम दुनिया में इजरायल की स्थिति को मजबूत करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू के साथ पीएम यायर लैपिड की अंकारा यात्रा और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के साथ उनकी बातचीत से रिश्तों को मजबूत करने में मदद मिली। दोनों देश पिछले एक साल से आपसी संबंधों को सुधारने के लिए काम कर रहे थे।फिलिस्तीन मुद्दा नहीं छोड़ेंगे ‘इजरायल के साथ संबंध बहाल पर ‘
इस मौके पर तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने कहा कि तुर्की और इजरायल पूर्ण राजनयिक संबंधों को बहाल करते हुए, राजदूतों और वाणिज्य दूतों को फिर से नियुक्त करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि हम फिलिस्तीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को तोड़ रहे हैं। तुर्की फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करना जारी रखेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल होने के बावजूद तुर्की और इजरायल के रिश्तों में उतार-चढ़ाव दिखता रहेगा।
मुस्लिम देशों पर दबाव बढ़ेगा इजरायल के साथ इस रिश्तों को लेकर
बाकी मुस्लिम देशों पर तुर्की के इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल करने के बाद भी दबाव बढ़ गया है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन खुद को इस्लामिक देशों का नेता घोषित करवाना चाहते हैं। इसी कारण चीन को छोड़ दुनिया के किसी भी देश में मुसलमानों के मुद्दे पर उतनी आवाज सबसे ज्यादा मुखर रहती है। पिछले दो साल के अंदर यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए हैं। अब इसी कड़ी में तुर्की का नाम भी जुड़ गया है। सऊदी अरब ने भी संकेत दिया है कि अगर फिलिस्तीन विवाद सुलझ जाता है तो वह भी इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल कर सकता है।
इजरायल पाकिस्तान के संबंध कैसे हैं
पाकिस्तान और इजरायल के बीच किसी भी तरह से संबंध नहीं हैं। पाकिस्तान तो इजरायल को एक देश के तौर पर मान्यता भी नहीं देता है। यही कारण है कि पाकिस्तानी पासपोर्ट पर लिखा रहता है कि यह दस्तावेज इजरायल को छोड़ पूरी दुनिया के लिए मान्य है। इजरायल सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बड़ी शक्ति है और आज के दौर में इस देश को अनदेखा कर कोई भी दूसरा देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में पाकिस्तान ने कई बार इजरायल के साथ बातचीत करने के बैक चैनल कोशिश की है, लेकिन कट्टरपंथियों के दबाव में पीछे हटना पड़ा।
ऐसे में पाकिस्तान को अपनीकूटनीतिक संबंधों को ठीक करना चाहिए क्यों कि एक देश की तरफ से दूसरे देश को मान्यता नहीं देने का अर्थ है कि इजरायल और पाकिस्तान का आपस में कोई रिश्ता,कोई संबंध नहीं। परन्तु समयनुसार इसे बदलने की जरुरत होगी पाकिस्तान को ताकि वैश्विक पटल पर रिश्तो की शुरुआत हो सके।