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पशुधन गणना

पशुधन गणना पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) का एक नियमित पंचवर्षीय अभ्यास है। पहली पशुधन गणना वर्ष 1919 में की गई थी और अंतिम गणना यानी 20वीं पशुधन गणना 2019 में की गई थी। 21वीं पशुधन गणना अभ्यास 25 अक्टूबर, 2024 को पूरे देश में शुरू किया गया है और 31 मार्च, 2025 तक पूरा होने की संभावना है। इसमें पालतू जानवरों की 15 प्रजातियों की गणना शामिल है। इनमें भैंस, बकरी, भेड़, याक, मिथुन, कुत्ता, खरगोश, सुअर, घोड़ा, टट्टू, गधा, खच्चर, ऊंट, हाथी और मुर्गी शामिल है। बेहतर नीति निर्माण के लिए पशुधन और नस्लों के रुझानों का आकलन करना, उनके संरक्षण और प्रजनन कार्यक्रमों के लिए देशी और विदेशी नस्लों पर डेटा एकत्र करना, पशुधन क्षेत्र में विकास और कल्याण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं और पहलों के लिए मूल्यवान इनपुट प्रदान करना इस अभ्यास के कुछ लक्ष्य और उद्देश्य हैं।

21 वीं पशुधन गणना का कार्य जारी है। तथापि, 20वीं पशुधन गणना के अनुसार श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ जिलों सहित राजस्थान राज्य में पशुधन गणना का विवरण इस प्रकार है –

जिले/राज्यपशु
पशुभैंसबकरीभेड़अन्यकुल
श्रीगंगानगर6,36,7022,00,125303487233917908113,83,312
हनुमानगढ़5,44,2643,02,2031805371700212014312,17,168
कुल: राजस्थान1,39,37,6301,36,93,3162084020379038574259395,68,00,945

नोट: अन्य में घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट और सूअर शामिल हैं।

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने 25 मार्च, 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

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