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प्रधानमंत्री जन धन योजना के सफल कार्यान्वयन के नौ साल पूरे

प्रधानमंत्री जन धन योजना

प्रधानमंत्री जन धन योजना Photo Credit: PIB

प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)’ – वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन के  सफल कार्यान्वयन के नौ साल आज पूरे हो गए हैं।

पीएमजेडीवाई की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी। 28 अगस्त 2014 को इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने इस अवसर को दरअसल गरीबों को एक दुष्चक्र से मुक्ति दिलाने का जश्न मनाने का त्योहार बताया था।

दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में इसे भी शामिल किए जाने के मद्देनजर वित्त मंत्रालय वित्तीय समावेशन आधारित अपने उपायों के जरिए हाशिये पर पड़े और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को वित्तीय समावेशन एवं आवश्‍यक सहायता प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। वित्तीय समावेशन (एफआई) के तहत समान और समावेशी विकास के साथ-साथ समाज के उन असुरक्षित समूहों जैसे कि निम्न-आय समूहों और कमजोर वर्गों को किफायती लागत पर वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने को बढ़ावा दिया जाता है जिनकी पहुंच बुनियादी बैंकिंग सेवाओं तक नहीं है।

वित्तीय समावेशन के जरिए गरीबों की बचत राशि को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाया जाता है और यह गांवों में रह रहे उनके परिवारों को धन भेजने का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा यह उन्हें सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालता है।

‘पीएमजेडीवाई’ की 9वीं वर्षगांठ पर केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने अपने संदेश में कहा,  ‘पीएमजेडीवाई की अगुवाई में ठोस उपायों के 9 साल के महत्‍वपूर्ण दौर और डिजिटल बदलाव ने भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है।  यह अत्‍यंत प्रसन्‍नता की बात है कि जन धन खाते खोलकर 50 करोड़ से भी अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है।  इन खातों में से लगभग 55.5 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं, और 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। इन खातों में कुल जमा राशि बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है। इसके अलावा, इन खातों के लिए लगभग 34 करोड़ ‘रुपे कार्ड’ बिना किसी शुल्क के जारी किए गए हैं, जिसके तहत 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान किया जाता है।’

श्रीमती सीतारमन ने कहा, ‘समस्‍त हितधारकों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के आपसी सहयोग से पीएमजेडीवाई एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में उभर कर सामने आई है, जो देश में वित्तीय समावेशन के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल रही है, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने परिकल्पना की थी।’

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड ने भी इस अवसर पर ‘पीएमजेडीवाई’ के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा,  ‘पीएमजेडीवाई योजना ने समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को औपचारिक बैंकिंग के दायरे में लाकर वित्तीय अस्पृश्यता को कम कर दिया है। समाज के कमजोर वर्गों की पहुंच बैंकिंग सुविधाओं तक सुनिश्चित करके, ऋणों की उपलब्धता तक लोगों की पहुंच को सुविधाजनक बनाकर, बीमा एवं पेंशन कवरेज प्रदान करके और वित्तीय जागरूकता बढ़ाकर इस योजना ने दूरगामी परिणाम प्रस्‍तुत किए हैं और अर्थव्यवस्था पर इसका कई गुना सकारात्‍मक प्रभाव पड़ा है।  इसके अलावा, ‘जन धन-आधार-मोबाइल (जैम)’ ने आम आदमी के खातों में सरकारी लाभों का निर्बाध रूप से सफल हस्तांतरण संभव कर दिया है। पीएमजेडीवाई खाते इसके साथ ही डीबीटी जैसी जन-केंद्रित पहल का आधार बन गए हैं और इसने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर वंचितों के समावेशी विकास में अहम योगदान दिया है।’

अब जबकि हमने इस योजना के सफल कार्यान्वयन के 9 वर्ष पूरे कर लिए हैं, तो हम इस योजना के अब तक के प्रमुख पहलुओं और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन है, जिसके तहत किफायती तरीके से बैंकिंग/बचत और जमा खातों, धन प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित की जा रही है।

  1. उद्देश्य:
    • किफायती मूल्‍यों पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना
    • लागत कम करने और लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना
  2.  योजना के मूल सिद्धांत
    • बैंकिंग सुविधाओं से वंचितों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना – न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोलनाकेवाईसीई-केवाईसी में ढीलशिविर मोड में खाता खोलनाशून्य बैलेंस और शून्य शुल्क
    • असुरक्षित को सुरक्षित करना – नकदी की निकासी और कारोबारी स्थलों पर भुगतान के लिए स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करना जिसमें 2 लाख रुपये की मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज है
    • वित्त से वंचितों को वित्त मुहैया कराना – अन्य वित्तीय उत्पाद जैसे कि सूक्ष्म-बीमाउपभोग के लिए ओवरड्राफ्टसूक्ष्म-पेंशन और सूक्ष्म-ऋण
  3. पीएमजेडीवाई की प्रारंभिक विशेषताएं

यह योजना निम्नलिखित 6 स्तंभों के आधार पर शुरू की गई थी:

बैंकिंग सेवाओं तक सभी की पहुंच – शाखा और बीसी

  1.  पीएमजेडीवाई में अनुभव के आधार पर अपनाया गया महत्वपूर्ण दृष्टिकोण:

खोले गए खाते अब बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली में ऑनलाइन खाते हैं, जबकि पहले संबंधित वेंडर के यहां प्रौद्योगिकी लॉक-इन के साथ ऑफलाइन खाते खोले जाते थे

    • रुपे डेबिट कार्ड या ‘आधार’ पर आधारित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के जरिए अंतर-संचालन सुविधा
    • तय केंद्रों पर बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स
    • बोझिल केवाईसी औपचारिकताओं के स्थान पर सरल केवाईसी/ई-केवाईसी को लाया गया
  1. नई सुविधाओं के साथ पीएमजेडीवाई की अवधि बढ़ाई गई – सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ व्यापक पीएमजेडीवाई कार्यक्रम की अवधि को 28.8.2018 से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
    • फोकस हर परिवार से हटाकर बैंकिंग सुविधाओं से वंचित प्रत्येक वयस्क पर किया गया
    • रुपे कार्ड बीमा – 28.8.2018 के बाद खोले गए पीएमजेडीवाई खातों के लिए रुपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया।
    • ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में वृद्धि:  ओडी सीमा को 5,000 रुपये से दोगुना कर 10,000 रुपये कर दिया गया2,000 रुपये तक ओडी (बिना शर्त के), ओडी के लिए अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की गई
  2. पीएमजेडीवाई का प्रभाव

‘पीएमजेडीवाई’ सही मायनों में जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है। चाहे वह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो, कोविड-19 संबंधी वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत बढ़ी हुई मजदूरी, जीवन और स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों के तहत पहला कदम प्रत्येक वयस्क व्‍यक्ति‍ का एक बैंक खाता खोलना है, जिसे पीएमजेडीवाई ने लगभग पूरा कर लिया है।

मार्च 2014 से लेकर मार्च 2020 के बीच खोले गए प्रत्‍येक 2  खातों में से एक खाता दरअसल पीएमजेडीवाई खाता ही था। पूरे देश में लॉकडाउन लगाए जाने के 10 दिनों के भीतर लगभग 20 करोड़ से अधिक महिला पीएमजेडीवाई खातों में से प्रत्येक महिला पीएमजेडीवाई खाते में डीबीटी के माध्यम से तीन महीने तक प्रति माह 500 रुपये की वित्तीय सहायता जमा की गई।

कोविड-19 महामारी के दौरान इसमें निर्बाध रूप से उल्लेखनीय तेजी देखने को मिली जिसकी बदौलत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) ने समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाया है और इसके साथ ही उन्‍हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है। एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पीएमजेडीवाई खातों के माध्यम से डीबीटी ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक रुपया इच्छित लाभार्थी तक पहुंच जाए और इस तरह से धनराशि के प्रणालीगत रिसाव या लीकेज को रोकना संभव हो गया।

पीएमजेडीवाई ने बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया है, भारत की वित्तीय संरचना का विस्तार किया है और लगभग हर वयस्क का वित्तीय समावेशन सुनिश्चित किया है।

  1. पीएमजेडीवाई के तहत उपलब्धियां- 16 अगस्त 2023 तक:

ए. पीएमजेडीवाई खाते

9 अगस्त 2023 तक पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या: 50.09 करोड़; 55.6 प्रतिशत (27.82 करोड़) जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 66.7 प्रतिशत (33.45 करोड़) जन-धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं।

[पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा राशि  –

पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा राशि 2,03,505 करोड़ रुपये है

प्रति पीएमजेडीवाई खाते में औसत जमा राशि  –

16.08.2023 तक प्रति खाता औसत जमा राशि 4,063 रुपये है

ई. पीएमजेडीवाई खाताधारकों को रुपे कार्ड जारी किया गया

  1. जन धन दर्शक ऐप (जेडीडी ऐप)

जेडीडी ऐप एक मोबाइल एप्लिकेशन है जो कि बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट्स (बीसी), भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक जैसे बैंकिंग टचप्वाइंट्स या बैंकिंग केंद्रों का पता लगाने के लिए एक नागरिक केंद्रित प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। 13 लाख से भी अधिक बैंकिंग टचप्वाइंट्स की मैपिंग जेडीडी ऐप पर की गई है। जन धन दर्शक ऐप के तहत विभिन्‍न सुविधाओं का लाभ आम लोग अपनी जरूरतों और सुविधा के अनुसार उठा सकते हैं। इस एप्लिकेशन के वेब संस्करण को http://findmybank.gov.in लिंक पर एक्सेस किया जा सकता है।

इस ऐप का उपयोग उन गांवों की पहचान के लिए भी किया जा रहा है, जिनके 5 किमी के दायरे में अभी भी कोई बैंकिंग आउटलेट नहीं है। बैंकिंग आउटलेट खोलने के लिए इन पहचाने गए गांवों को संबंधित एसएलबीसी द्वारा विभिन्न बैंकों को आवंटित किया जाता है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप अब तक कवर नहीं किए जा सके गांवों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

जुलाई 2023 तक कुल 6.01 लाख गांवों की मैपिंग जेडीडी ऐप पर की गई है। मैपिंग किए गए कुल गांवों में से 5,99,468 (99.7प्रतिशत) को बैंकिंग आउटलेट (बैंक शाखाबैंकिंग कॉर्नर या इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) 5 किमी के दायरे में है) से कवर कर दिया गया है।

  1. डीबीटी लेन-देन सुचारू ढंग से निरंतर सुनिश्चित करने की दिशा में

बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 6.26 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारकों को विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्‍त होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को समय पर उनका डीबीटी प्राप्त हो, संबंधित विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और विभिन्न अन्य मंत्रालयों के परामर्श से डीबीटी की विफलताओं के टाले जा सकने वाले कारणों का पता लगाने में अत्‍यंत सक्रिय भूमिका निभाता है।

  1. डिजिटल लेन-देन: पीएमजेडीवाई के तहत 33.98 करोड़ से भी अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी करने, 79.61 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना करने और यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरूआत होने से  डिजिटल लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1,471 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 11,394 करोड़ हो गई है। यूपीआई वित्तीय लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ हो गई है।  इसी तरह पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड से लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ हो गई है।

आगे की राह

  1. सूक्ष्म बीमा योजनाओं के तहत पीएमजेडीवाई खाताधारकों की कवरेज सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा। पीएमजेडीवाई के पात्र खाताधारकों को पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के तहत कवर करने का प्रयास किया जाएगा। बैंकों को इस बारे में पहले ही सूचित किया जा चुका है।
  2. पूरे भारत में स्वीकार्य बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के निर्माण के जरिए पीएमजेडीवाई खाताधारकों के बीच रुपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जाएगा।
  3. पीएमजेडीवाई खाताधारकों की पहुंच सूक्ष्म-ऋण और सूक्ष्म निवेश जैसे कि फ्लेक्सी-आवर्ती जमा, इत्‍यादि तक बढ़ाई जाएगी।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

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