प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘लीडरशिप लिगेसी’ पर पुस्तक
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को आज प्रख्यात बुद्धिजीवी, लेखक, अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के पूर्व रोड्स प्रोफेसर द्वारा लिखित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “लीडरशिप लिगेसी” पर एक पुस्तक भेंट की गई, जो वर्तमान में भारत सरकार के क्षमता निर्माण आयोग में मानव संसाधन के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं।
फोटो: मानव संसाधन क्षमता निर्माण आयोग के सदस्य और प्रख्यात बुद्धिजीवी डॉ. आर बालासुब्रमण्यम, रविवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को अपनी नवीनतम पुस्तक भेंट करते हुए।
‘पावर विदिन’ : द लीडरशिप लिगेसी ऑफ नरेन्द्र मोदी’ नामक पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व यात्रा को दर्शाते हुए इसकी पश्चिमी और भारतीय दृष्टिकोण के माध्यम से व्याख्या की गई है। साथ ही इन दोनों को मिलाकर उन लोगों के लिए एक रोडमैप प्रदान किया गया है जो सार्वजनिक सेवा के जीवन की आकांक्षा रखते हैं।
डॉ. आर बालासुब्रमण्यम ने अभी तक नौ पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से “वॉयस फ्रॉम द ग्रासरूट्स’ और “लीडरशिप लेसन्स फॉर डेली लिविंग” जैसी कुछ पुस्तकें विश्वस्तर पर प्रशंसित हैं।
पुस्तक, “पावर विदिन: द लीडरशिप लिगेसी ऑफ नरेन्द्र मोदी’, ‘नेतृत्व के अभ्यास’ से प्रेरित है। यह इस अभ्यास का आत्मनिरीक्षण करती है क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवंत अनुभव के माध्यम से भारत के सभ्यतागत ज्ञान को भी दर्शाती है।
मंत्रिमंडल के अंदर और उससे बाहर के सहयोगियों ने इस बात का उल्लेख किया है कि कैसे उनकी अथक मेहनत और संवादात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाया।
इसमें बुद्धिजीवियों, शिक्षा जगत, कॉर्पोरेट जगत और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विचारकों सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख व्यक्तियों के मत और किस्से भी दिए गए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि, यह पुस्तक वास्तव में मोदी जी के समय का हस्ताक्षर एवं इतिहास है और इसमें भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थापित करने के मोदी के संकल्प को रेखांकित किया गया है। इसे प्रधानमंत्री मोदी के संदर्भ में भारतीय नेतृत्व की विभिन्न रूपरेखाओं के सबसे प्रारम्भिक और सबसे प्रामाणिक अभिलेखों में से एक बताते हुए उन्होंने कहा कि, यह वास्तव में एक अनूठा अध्ययन (केस स्टडी) हैI साथ ही उन्होंने भविष्यवाणी की कि भविष्य के शोधकर्ता इसे संदर्भ के लिए एक उपयोगी दस्तावेज़ के रूप में देखेंगे।
स्रोत: पीआईबी
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