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बिहार नहीं, इन राज्यों से तय होगा नीतीश कुमार विपक्ष के PM उम्मीदवार होंगे या नहीं,कांग्रेस अपना पत्ता अभी नहीं खोलेगी,

नई दिल्ली: हाल ही में नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति में नई सरकार गठित करके एक नई सियासी हवा दे दी है,जिस दल को अपने पाले में लेके आए वो दल विपक्ष के रूप में था और कभी सियासी साथी भी रहा है,ऐसे में इस नये गठबंधन ने अन्य दलों को एक उम्मीद की चिराग दिखी की क्या नीतीश कुमार 2024 के चुनाव में प्रधानमंत्री का चेहरा होंगे, अधिकांश विपक्षी दल खुश हैं। बीजेपी (BJP) का साथ छोड़ने के बाद विपक्षी नेताओं में उनकी चर्चा सबसे अधिक होने लगी है। मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोर पकड़ने लगी कि क्या नीतीश कुमार विपक्ष की ओर से 2024 लोकसभा चुनाव में पीएम उम्मीदवार (Opposition PM Candidate 2024) होंगे। चर्चाओं के इस दौर के बीच सवाल यह है कि क्या यह इतना भी आसान है? कांग्रेस अभी इस मुद्दे पर चुप है। नीतीश की बात करें तो 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने कहा था कि बिहार से बाहर एनडीए से उनका कोई रिश्ता नहीं है। तब प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनको धन्यवाद कहा था। हालांकि अब ममता ने भी चुप्पी ठान रखी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव समेत विपक्ष के दूसरे बड़े नेताओं ने भी नीतीश की पीएम उम्मीदवारी पर अब तक कुछ नहीं कहा। इन परिस्थितियों में इतना तो तय है कि 2024 में पीएम मोदी (PM Modi) के सामने विपक्ष का चेहरा कौन होगा, यह सिर्फ बिहार से तो तय नहीं हो सकता। हां, इतना जरूर है कि आम चुनाव से पहले कई राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हैं। संभव है उनके नतीजे बहुत हद तक स्थिति स्पष्ट कर देंगे।कांग्रेस ने अभी अपना रुख स्पष्ट नही किया है,कुछ राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद कर सकती है फैसला
कांग्रेस फिलहाल नीतीश कुमार के नाम पर चुप है और उसका कहना है कि फोकस अभी बिहार है। कांग्रेस नेता ,नीतीश कुमार का स्वागत तो कर रहे हैं लेकिन 2024 को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। नीतीश कुमार को पीएम चेहरा बनाने को लेकर कांग्रेस का रुख अभी स्पष्ट नहीं है। उसके पीछे कारण भी स्पष्ट है। विपक्ष की ओर से अगुवाई कांग्रेस की ओर से होगी फिलहाल यह बात कही जा रही है। वहीं ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, केसीआर भी इस रेस में हैं। 2024 से पहले कई राज्यों में चुनाव है और कांग्रेस की नजर इस पर है।

देश में इस साल दो राज्य हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव साल के अंत में होंगे। इन दोनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। गुजरात चुनाव के नतीजे क्या आते हैं इस पर सबकी नजर है। वहीं इसके बाद अगले साल यानी 2023 में 9 राज्यों में चुनाव है। इनमें कई बड़े राज्य हैं। जिन राज्यों में अगले साल चुनाव है उसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा,नगालैंड और मिजोरम में चुनाव है। इनमें दो राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस की फिलहाल सरकार है वो है राजस्थान और छत्तीसगढ़। साथ ही मध्यप्रदेश और कर्नाटक वो राज्य है जहां विपक्ष में रहते हुए उसकी स्थिति मजबूत है। ऐसे में इन 11 राज्यों का चुनाव और उसके नतीजे से बहुत कुछ उससे तय होगा। लोकसभा चुनाव के लिए जनता का मूड क्या होगा इससे ही पता चलेगा। कांग्रेस शायद ही इन चुनाव नतीजों के पहले कोई फैसला करे। इन चुनावों में यदि कांग्रेस के हक में फैसला आता है तो फिर दूसरे विपक्षी नेताओं की राह मुश्किल होगी।

नीतीश,केजरीवाल,या ममता… किसके नाम पर राजी होगी कांग्रेस

दूसरी स्थिति एक यह भी बनती है कि यदि इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर या उम्मीद के मुताबिक नहीं रहता तो स्थिति कमजोर होगी। यह बात कांग्रेस नेताओं को भी पता है। ऐसे में उसे दूसरे ऑप्शन की ओर देखना होगा यानी कि विपक्ष का कोई और नेता जिसके नाम पर वह राजी हो। फिलहाल 2024 के लिए विपक्ष की ओर से जिन नेताओं की दावेदारी है उसमें अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी प्रमुख हैं। अब इस कड़ी में एक नया नाम जुड़ गया है वो है नीतीश कुमार का। कांग्रेस को यदि इन नामों में से किसी एक की ओर आगे बढ़ना पड़ा तो शायद वो नाम नीतीश कुमार का हो।

अरविंद केजरीवाल की पार्टी की सत्ता दिल्ली और पंजाब में है। इन दोनों ही राज्यों में पहले कांग्रेस की सरकार थी। अरविंद केजरीवाल की मजबूती को कांग्रेस के लिए घातक भी बताया जाता है ऐसे में शायद उनके नाम पर कांग्रेस आगे न बढ़े। वहीं ममता बनर्जी और कांग्रेस के रिश्ते कैसे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। एक वक्त विपक्ष की अगुवाई को लेकर दोनों आमने-सामने भी आ गए। रही सही कसर उपराष्ट्रपति के चुनाव में पूरी हो गई जब मार्गरेट अल्वा ने ममता बनर्जी पर जोरदार तंज कसा। ऐसे में कांग्रेस ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के नाम से कहीं अधिक नीतीश कुमार के नाम पर सहज होगी। बिहार में वैसे भी कांग्रेस सीधी लड़ाई में है ही नहीं।

ऐसे में मोदी के टक्कर में कौन होगा PM उम्मीदवार, इसकी स्थिति संभवतः अंत तक पता न चले

यह सवाल 2019 से ही शुरू है और अभी तक चल ही रहा है कि मोदी के सामने कौन होगा PM उम्मीदवार और यह भी संभव है कि 2024 में भी यह सवाल बरकरार रहे। उसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कांग्रेस की कमजोरी। कांग्रेस की जिस प्रकार से एक के बाद एक कई राज्यों में हार हुई है उसके बाद दूसरे विपक्षी दलों की ओर से ही उस पर कई सवाल खड़े किए गए। हालांकि राहुल गांधी की ओर से लगातार मोदी सरकार पर हमला जारी है। कांग्रेस नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि उनकी अगुवाई में कांग्रेस आगामी चुनाव में मजबूत लड़ाई देगी। यदि राज्यों के नतीजे कुछ भी बेहतर हुए तो शायद कांग्रेस किसी और के नाम पर राजी न हो। वहीं बीजेपी के विकल्प के तौर आम आदमी पार्टी खुद को पेश कर रही है। पंजाब चुनाव में जीत के बाद उसका दावा और भी मजबूत हुआ है।

उसी का नतीजा है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में पार्टी पूरा जोर लगाए हुए है। यदि पंजाब के बाद में गुजरात और हिमाचल में भी उसका प्रदर्शन अच्छा रहा तो शायद ही वह किसी और नेता या पार्टी के नाम पर राजी हो। क्योंकि पार्टी इसी आधार पर आगे बढ़ रही है कि बीजेपी का विकल्प वही है। वहीं ममता बनर्जी बंगाल में बीजेपी को मात देने के बाद से ही विपक्ष की अगुवाई का कोई मौका नहीं चूक रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव में भी वह आगे आईं हालांकि दूसरी वजहों से बाद में उनको पीछे भी हटना पड़ा। ऐसे में वह किसी और के नाम पर राजी आसानी से हो जाएंगी कहा नहीं जा सकता। वहीं शरद पवार, नीतीश कुमार, केसीआर और उद्धव ठाकरे भी रेस में हैं। जो सही मौके का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में बहुत हद तक इस बात की भी संभावना है कि विपक्ष की ओर से चेहरा कौन होगा यह सवाल बना ही रहेगा,

नीतीश कुमार का कद राजनीतिक गलियारों में काफी बड़ा है उनके नेतृत्व पर किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए परन्तु राजनीतिक परिस्थितियां अक्सर समयानुसार कुछ और ही होती है,भाजपा के साथ गठबंधन में कभी नीतीश कुमार पीएम के चॉइस हुआ करते थे परन्तु समय ने करवट बदली और देश को एक अलग महत्वाकांक्षा वाला प्रधानमंत्री मिला।
विपक्ष को एक होकर देश के सामने एक मिसाल कायम करनी चाहिए क्योकि जनता भी यह जानने के लिए उत्सुक है कि कौन होगा मोदी सामने पीएम उम्मीदवार।

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