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भारतीय स्वतंत्रता दिवस 2022- देश आज मना रहा है अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस

नई दिल्ली – देश आज अपना 76वां 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है,इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले के प्राचीर से नवीं बार देश को किया, इस दौरान उन्होंने आजादी के 75 वर्ष बाद तिरंगे को सलामी देने वाले तोपों का विशेष जिक्र किया, और देश को भाई भतीजावाद,भ्रष्टाचार,आत्मनिर्भर भारत सहित कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए ध्यान आकर्षित किया।
चलिए समझते है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर उनकी इस ऐतिहासिक भाषण का क्या महत्त्व है।

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की मुख्य बातें क्या है
: उन्होंने कहा कि अमृतकाल का पहला प्रभात आकांक्षी समाज की आकाँक्षाओं को सम्पूर्ण करने का सुनहरा अवसर है। इस देश के अंदर कितनी क्षमता है यह तिरंगे ने दिखा दिया है।
:भारत की विविधता ही भारत की अनमोल शक्ति है। शक्ति का एक अटूट प्रमाण है। दुनिया को पता नहीं था कि भारत के पास एक inherent सामर्थ्य है, एक संस्कार सरिता है, और वो है भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है।
:हमने पिछले दिनों जिस ताकत का अनुभव किया है और वो है भारत में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण। आजादी के इतने संघर्ष में जो अमृत था, वो अब संजोया जा रहा है, संकलित हो रहा है।
:प्रधानमंत्री ने कहा कि मै पुरे विश्व में फैले भारतीयों को इस अमृत महोत्सव की बहुत सारी बधाई देता हु,हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां प्राप्त की हैं, पुरुषार्थ किया है,और कभी हार नहीं मानी,और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है।
:आज का यह दिन, ऐतिहासिक दिन है। एक पुण्य पड़ाव, एक नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है
दुनिया आज भारत को गर्व,आशा और समस्या समाधान के रूप में देखती है।
:दुनिया भारत को एक ऐसे गंतव्य के रूप में देखती है जहां आकांक्षाएं पूरी होती हैं।
:आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है।
:पिछले 8 वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार, मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए, गलत हाथों में जाने वाले 2 लाख करोड़ रुपये को बचाकर उन्हें देश की भलाई में लगाने में हम कामयाब हुए हैं।
:आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल के बाद वो आवाज़ सुनाई दी है। 75 साल के बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार Made In India तोप ने किया है। कौन हिन्दुस्तानी होगा, जिसको यह आवाज़ उसे नई प्रेरणा, ताकत नहीं देगी।

अमृत कल के पांच प्रण है
पहला प्रण है – विकसित भारत का लक्ष्य
दूसरा प्रण है – गुलामी के हर अंश से मुक्ति
तीसरा प्रण है – अपनी विरासत पर गर्व
चौथा प्रण है – एकता और एकजुटता
पांचवां प्रण है – नागरिकों में कर्तव्य की भावना

नदी को माँ के रूप में मानना
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भारतीय नदी को माँ मानते है, हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।

प्रंधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत समाज का जनांदोलन है सरकारी एजेंडा नही
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के बारे में कहा कि ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है,यह समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि कल 14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर हमने उन लोगों को भारी मन से याद किया जिन्होंने हमारे तिरंगे के सम्मान और मातृभूमि के प्रति प्रेम लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

प्रधानमंत्री ने कहा युवाओं को रिसर्च में मौके देने को
:प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च के लिए भरपूर मदद मिले। इसलिए हम स्पेस मिशन का, Deep Ocean Mission का विस्तार कर रहे हैं। स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान है।

देश के सामने दो बड़ी चुनौतियाँ
:प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां अभी भी है जिनमे पहला है भ्र्ष्टाचार और दूसरी चुनौती है परिवारवाद और भाई भतीजावाद।
यह स्थिति अच्छी नहीं है कि एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है।जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता है, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है।
:भाई भतीजावाद और परिवारवाद से देश की प्रतिभा को नुकशान पहुंच रहा है। जब ये बात होती है तो लगता है कि यह सिर्फ राजनीतिक है परन्तु राजनीति की इस बुराई ने देश की सभी संस्थाओं में परिवारवाद को पोषित कर दिया जिससे देश की प्रतिभा को नुकशान पहुंच रहा है।

देश के लुटेरों से वापस ली जा रही है सम्पतियाँ
प्रधानम्नत्री ने कहा कि जो लोग पिछली सरकारों में देश को लूटकर भाग गए, उनकी संपत्तियां ज़ब्त करके वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें सम्पतियों को लौटाना पड़े वो स्थिति हम पैदा कर रहे हैं। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं।

नारी शक्ति के विकास को सराहा
:प्रधानमंत्री ने कहाकी हम जीवन के हर क्षेत्र में देखें, खेल-कूद का मैदान देखें या युद्ध की भूमि देखें, भारत की नारी शक्ति एक नए सामर्थ्य, नए विश्वास के साथ आगे आ रही है। उनका भारत की 75 साल की यात्रा में जो योगदान रहा है, उसमें मैं अब कई गुना योगदान आने वाले 25 साल में नारीशक्ति का देख रहा हूं।

बिरसा मुंडा, अल्लूरी सीताराम राजू और गोविंद गुरु को भी याद किया
:प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम आज़ादी के जंग की चर्चा करते हैं तो हम आदिवासी समाज का गौरव करना हम नहीं भूल सकते हैं। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों जैसे बिरसा मुंडा, अल्लूरी सीताराम राजू और गोविंद गुरु ने भारत के हर कोने में स्वतंत्रता संग्राम को जीवित रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
देश के सभी नागरिकों पर किया भरोषा
प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनौतियाँ तो बहुत है परन्तु जितने संकट है उतने ही समाधान भी मौजूद है मुझे देश के सभी नागरिकों पर भरोशा है की निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ते हैं, तो हिंदुस्तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है।

जय जवान,जय किसान,जय विज्ञानऔर जय अनुसंधान की बात कही
प्रधानमंत्री ने कहा कि जय जवान, जय किसान का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी। लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।

संविधान निर्माताओं को धन्यवाद दिया
प्रधामंत्री ने कहा कि भारत के संविधान के निर्माताओं का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने जो हमें federal structure दिया है। आज समय की मांग है कि हमें cooperative federalism के साथ-साथ cooperative competitive federalism की जरूरत है, हमें विकास की स्पर्धा की जरूरत है।

देश की सेना का किया अभिवादन
प्रधानमंत्री ने देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्‍मनिर्भर की बात को संगठित स्‍वरूप में, साहस के स्‍वरूप में मेरी सेना के जवानों ने सेना नायकों ने जिस जिम्‍मेदारी के साथ कंधे पर उठाया है। मैं उनको जितनी salute करूं, उतनी कम है!

लिंग समानता की बात दोहराई
प्रधानमंत्री ने लिंग समानता पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर बेटा-बेटी एकसमान नहीं होंगे तो एकता के मंत्र नहीं गुथ सकते हैं। जेंडर इक्वैलिटी हमारी एकता में पहली शर्त है।

विक्सित देश बनाने किए लिए महासंकलप
:प्रधानमंत्री के अनुसार मेरा देश विकसित देश होगा, developed country होगा, विकास के हरेक पैरामीटर में हम मानवकेंद्री व्‍यवस्‍था को विकसित करेंगे, हमारे केंद्र में मानव होगा, हमारे केंद्र के मानव की आशा-आकांक्षाएं होंगी। हम जानते हैं, भारत जब बड़े संकल्‍प करता है तो करके भी दिखाता है।

राष्ट्रिय शिक्षा नीति पर फोकस किया
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह से नई राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, और भारत की धरती की जमीन से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है, रसकस हमारी धरती के मिले हैं। हमने जो कौशल पर बल दिया है, ये एक ऐसा सामर्थ्‍य है, जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा।

योग के महत्त्व की प्रशंसा की
प्रधामंत्री ने कहा कि आज दुनिया holistic health care की चर्चा कर रही है लेकिन जब holistic health care की चर्चा करती है तो उसकी नजर भारत के योग पर जाती है, भारत के आयुर्वेद पर जाती है, भारत के holistic lifestyle पर जाती है। ये हमारी विरासत है जो हम दुनिया का दे रहे हैं।

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