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विश्व आयोडीन अल्पता दिवस

विश्व आयोडीन अल्पता दिवस

विश्व आयोडीन अल्पता दिवस

भूमिका

विश्व आयोडीन अल्पता दिवस, जिसे वैश्विक आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में आयोडीन की आवश्यक भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना और आयोडीन की कमी के परिणामों पर बल देना है। यह दस्तावेज़ दैनिक पोषण में आयोडीन के महत्व और इसकी कमी संबंधी विकारों को रोकने में आयोडीन के महत्व को रेखांकित करता है।

आयोडीन क्या है

आयोडीन थायराइड हार्मोन, थायरोक्सिन (टी4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) का एक आवश्यक घटक है, जो चयापचय को नियंत्रित करता है और भ्रूण तथा शिशु के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। खाद्य पदार्थों और आयोडीन युक्त नमक में पाया जाने वाला आयोडीन सोडियम और पोटेशियम नमक, अकार्बनिक आयोडीन (I2), आयोडेट और आयोडाइड सहित कई रूपों में मौजूद होता है। आयोडाइड, सबसे सामान्य रूप है जो पेट में तेजी से अवशोषित होता है और थायराइड द्वारा हार्मोन उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। अधिकांश अतिरिक्त आयोडाइड मूत्र के माध्यम से उत्सर्जित होता है।

आयोडीन की कमी से क्या होता है?

आयोडीन की कमी से वृद्धि और विकास पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं, यह निदान योग्य बौद्धिक अक्षमता का सबसे आम कारण है। अपर्याप्त आयोडीन के कारण थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है जिसके परिणामस्वरूप आयोडीन अल्पता वाले विकार   होते हैं। गर्भावस्था और प्रारंभिक शैशवावस्था के दौरान, आयोडीन की कमी से अपरिवर्तनीय दुष्परिणाम हो सकते हैं।

आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय प्रयास

आयोडीन की कमी के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभावों को पहचानते हुए भारत सरकार ने 1962 में राष्ट्रीय घेंघा नियंत्रण कार्यक्रम (एनजीसीपीके माध्यम से इस समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय प्रयास शुरू किए। इस कार्यक्रम में आयोडीन की कमी से होने वाली विभिन्न समस्याओं जैसे– शारीरिक और मानसिक विकास में अवरोधबौनापन और जन्म के समय मृत्यु को कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए।

1992 में, कार्यक्रम को व्यापक बनाया गया और इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (एनआईडीडीसीपी) कर दिया गया। आयोडीन की कमी से होने वाले विभिन्न विकारों (आईडीडी) को नियंत्रित करने के लिए इस कार्यक्रम को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित करना सुनिश्चित किया गया।

एनआईडीडीसीपी के प्राथमिक लक्ष्यों में शामिल हैं:

इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, यह कार्यक्रम कई प्रमुख उद्देश्यों पर केंद्रित है:

1984 में भारत में सभी खाद्य नमक को आयोडीन युक्त बनाने के लिए एक प्रमुख नीतिगत निर्णय लिया गया, इस पहल को 1986 से चरणबद्ध श्रृंखला के रूप में शुरू किया गया। 1992 तक, देश का लक्ष्य पूरी तरह से आयोडीन युक्त नमक में परिवर्तन करना था। भारत आज सालाना 65 लाख मीट्रिक टन आयोडीन युक्त नमक का उत्पादन करता है, जो इसकी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। वर्तमान में भी जारी यह राष्ट्रीय प्रयास आयोडीन की कमी को दूर करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (एनआईडीडीसीपी) की उपलब्धियाँ

राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम (एनआईडीडीसीपी) के कार्यान्वयन से पूरे भारत में आयोडीन अल्पता विकार (आईडीडी) में कमी लाने में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं :

आयोडीन की कमी से निपटने के वैश्विक प्रयास

आयोडीन की कमी से निपटने के वैश्विक प्रयास महत्वपूर्ण रहे हैं, जिसमें आयोडीन अल्पता दिवस जैसी पहल प्रमुख है, जो थायरॉयड के कार्य, वृद्धि और विकास में आयोडीन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है। वैश्विक स्तर पर, अनुमानित 1.88 अरब लोगों को अपर्याप्त आयोडीन सेवन का खतरा है, जिससे स्कूल जाने वाले लगभग 30% बच्चे प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ ने 1993 से सार्वभौमिक आयोडीनयुक्त नमक का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप 120 से अधिक देशों ने आयोडीनीकरण कार्यक्रम अपनाया है। इन ठोस प्रयासों से पूरे भारत में आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

निष्कर्ष

अंत में, विश्व आयोडीन अल्पता दिवस एनआईडीडीसीपी जैसी राष्ट्रीय पहल और डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के नेतृत्व वाले वैश्विक प्रयासों के माध्यम से आयोडीन की कमी संबंधी विकारों को रोकने में हुई प्रगति की याद दिलाता है। निरंतरता और निगरानी लगातार सफलता सुनिश्चित करेगी, अंततः स्वस्थ आबादी और दुनिया भर में जीवन की गुणवत्ता में सुधार में योगदान देगी।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

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