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52वीं जीएसटी परिषद बैठक की सिफारिशें

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज 52वीं जीएसटी परिषद की बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी, वित्त विभाग संभालने वाले गोवा और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (विधानमंडल के साथ) के वित्त मंत्री तथा वित्त मंत्रालय और राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

जीएसटी परिषद ने अन्य बातों के साथ-साथ जीएसटी की टैक्स दरों में बदलाव, व्यापार की सुविधा के उपायों और जीएसटी में अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपायों से संबंधित निम्नलिखित सिफारिशें कीं।

ए. वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों से संबंधित सिफारिशें

I. वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव

1) एचएस 1901 के तहत आने वाले “पाउडर के रूप में मोटे अनाजों के आटे की खाद्य तैयारी, जिसमें वजन के अनुसार कम से कम 70% मोटे अनाज शामिल हो” पर जीएसटी दरें निम्नलिखित तरीके से निर्धारित की गई हैं, जो अधिसूचना की तारीख से प्रभावी होंगी:

0% – यदि पूर्व-पैक और लेबल किए गए फॉर्म के अलावा किसी अन्य रूप में बेचा जाता है,

5% – यदि पूर्व-पैक और लेबल किए गए रूप में बेचा जाता है

2) यह स्पष्ट किया जाता है कि एचएस 5605 के अंतर्गत आने वाले धातुकृत पॉलिएस्टर फिल्म/प्लास्टिक फिल्म से बने नकली ज़री धागे या धागे, 5% जीएसटी दर को आकर्षित करने वाले नकल वाले ज़री धागे या धागे की प्रविष्टि के अंतर्गत आते हैं। हालांकि, विपरीत होने की स्थिति में पॉलिएस्टर फिल्म (धातुकृत)/प्लास्टिक फिल्म पर कोई रिफंड नहीं दिया जाएगा।

3) यदि विदेश जाने वाले जहाज तटीय मार्ग पर परिवर्तित होते हैं तो उन्हें जहाज के मूल्य पर 5% आईजीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा। जीएसटी परिषद ने विदेशी ध्वज वाले विदेशी जहाज को तटीय मार्ग में परिवर्तित होने पर सशर्त आईजीएसटी छूट की सिफारिश की है, यदि यह छह महीने में विदेश जाने वाले जहाज में परिवर्तित हो जाता है।

II. वस्तुओं से संबंधित अन्य बदलाव

1) जीएसटी परिषद ने मानव उपभोग के लिए अल्कोहल शराब के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) को जीएसटी से बाहर रखने की सिफारिश की है। मानव उपभोग के लिए अल्कोहल शराब के निर्माण में उपयोग हेतु ईएनए को जीएसटी के दायरे से बाहर करने के लिए विधि आयोग कानून में उपयुक्त संशोधन की जांच करेगा।

2) गुड़ पर जीएसटी 28% से घटाकर 5%। इस कदम से मिलों के पास नकदी बढ़ेगी और गन्ना किसानों को गन्ना बकाया का तेजी से भुगतान हो सकेगा। इससे पशु आहार के निर्माण की लागत में भी कमी आएगी, क्योंकि इसके निर्माण में गुड़ भी एक सामग्री होती है।

3) औद्योगिक उपयोग के लिए संशोधित स्पिरिट को कवर करने के क्रम में सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम में 8 अंकों के स्तर पर एक अलग टैरिफ एचएस कोड बनाया गया है। 18% जीएसटी को आकर्षित करने वाले औद्योगिक उपयोग के लिए ईएनए से जुड़ी एक प्रविष्टि बनाने के लिए जीएसटी दर अधिसूचना में संशोधन किया जाएगा।

III. सेवाओं की जीएसटी दरों में बदलाव

1) अधिसूचना संख्या 12/2017-सीटीआर, दिनांक 28.06.2017 की क्रम संख्या 3 और 3ए की प्रविष्टियाँ; भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243जी और 243डब्ल्यू के तहत पंचायत/नगर पालिका को सौंपे गए किसी भी कार्य के संबंध में केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों और स्थानीय प्राधिकरणों को शुद्ध और समग्र सेवाओं को छूट देती है। जीएसटी परिषद ने मौजूदा छूट प्रविष्टियों को बिना किसी बदलाव के बरकरार रखने की सिफारिश की है।

2) इसके अलावा, जीएसटी परिषद ने सरकारी प्राधिकरणों को आपूर्ति की जाने वाली जल आपूर्ति, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता संरक्षण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्लम सुधार और उन्नयन की सेवाओं को छूट देने की भी सिफारिश की है।

IV. सेवाओं से संबंधित अन्य बदलाव

1. यह स्पष्ट किया जाता है कि जौ का प्रसंस्करण माल्ट में करने से संबंधित जॉब वर्क सेवाओं पर “खाद्य और खाद्य उत्पादों से संबंधित जॉब वर्क” के समान ही 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है, न कि 18 प्रतिशत की दर से।

2. 1 जनवरी 2022 से, इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटर्स (ईसीओ) के माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली बस परिवहन सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान करने का दायित्व सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9(5) के तहत ईसीओ पर रखा गया है। व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाला यह कदम उद्योग संघ के इस अभ्यावेदन पर उठाया गया है कि ईसीओ के माध्यम से सेवाओं की आपूर्ति करने वाले अधिकांश बस ऑपरेटरों के पास एक या दो बसें ही हैं और वे पंजीकरण लेने एवं जीएसटी अनुपालनों को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं। व्यवसाय करने में आसानी के लिए छोटे ऑपरेटरों की आवश्यकता और आईटीसी लेने की बड़े संगठित संस्थान की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने हेतु जीएसटी परिषद ने सिफारिश की है कि कंपनियों के रूप में संगठित बस ऑपरेटरों को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9(5) के दायरे से बाहर रखा जा सकता है। इससे वे अपने आईटीसी का उपयोग करके अपनी आपूर्ति पर जीएसटी का भुगतान करने में समर्थ होंगे।

3. यह स्पष्ट किया जाता है कि देशभर में खनिजों के खनन वाले क्षेत्रों में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा स्थापित डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) सरकारी प्राधिकरण हैं और इसलिए वे जीएसटी से उसी प्रकार की छूट के पात्र हैं, जो किसी अन्य सरकारी प्राधिकरण को उपलब्ध हैं।

4. भारतीय रेलवे द्वारा सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म के तहत कर लगाया जाएगा ताकि वे आईटीसी का लाभ उठा सकें। इससे भारतीय रेलवे की लागत कम हो जाएगी।

बी. व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले उपाय:

i) ऐसे मामलों में जहां स्वीकार्य समय अवधि के भीतर अपील दायर नहीं की जा सकी, मांग आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने हेतु माफी योजना:

परिषद ने वैसे कर योग्य व्यक्तियों के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 148 के तहत एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से एक माफी योजना प्रदान करने की सिफारिश की है, जो सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 73 या 74 के तहत 31 मार्च, 2023 को या उससे पहले पारित मांग आदेश के खिलाफ उक्त अधिनियम की धारा 107 के तहत अपील दायर नहीं कर सके या जिनकी उक्त आदेश के खिलाफ अपील केवल इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि उक्त अपील धारा 107 की उप-धारा (1) में निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर दायर नहीं की गई थी। ऐसे सभी मामलों में, करदाताओं द्वारा 31 जनवरी 2024 तक ऐसे आदेशों के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि विवादित कर के 12.5 प्रतिशत की पूर्व-जमा राशि का भुगतान किया जाए, जिसमें से कम से कम 20 प्रतिशत (यानी विवादित कर का 2.5 प्रतिशत) इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर से डेबिट किया जाना चाहिए। इससे बड़ी संख्या में करदाताओं को सुविधा होगी, जो पूर्व में निर्धारित समयावधि के भीतर अपील दायर नहीं कर पाते थे।

ii) कंपनी को स्वीकृत की जा रही क्रेडिट सीमा/ऋण के विरुद्ध निदेशकों द्वारा बैंक को दी गई व्यक्तिगत गारंटी की करयोग्यता के संबंध में और होल्डिंग कंपनी द्वारा अपनी सहायक कंपनी को प्रदान की गई कॉरपोरेट गारंटी सहित संबंधित व्यक्तियों के लिए प्रदान की गई कॉरपोरेट गारंटी की करयोग्यता के संबंध में स्पष्टीकरण: परिषद ने अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित अनुशंसा की है:

(ए) यह स्पष्ट करते हुए एक सर्कुलर जारी करें कि जब कंपनी द्वारा बैंक/वित्तीय संस्थानों को उनकी ओर से व्यक्तिगत गारंटी प्रदान करने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी रूप में निदेशक को कोई भुगतान नहीं किया जाता है, तो उक्त लेनदेन/आपूर्ति का खुला बाजार मूल्य शून्य माना जाएगा और इसलिए, सेवाओं की ऐसी आपूर्ति के संबंध में कोई कर देय नहीं होगा।

(बी) संबंधित पक्षों के बीच प्रदान की गई कॉरपोरेट गारंटी की आपूर्ति के कर योग्य मूल्य को ऐसी गारंटी की राशि का एक प्रतिशत या वास्तविक प्रतिफल, जो भी अधिक हो, प्रदान करने हेतु सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 28 में उप-नियम (2) को सम्मिलित करें।

(सी) सर्कुलर के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि उक्त उप-नियम के सम्मिलन के बाद, संबंधित पक्षों के बीच प्रदान की गई कॉरपोरेट गारंटी की सेवाओं की ऐसी आपूर्ति का मूल्य सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 28 के प्रस्तावित उप-नियम (2) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, भले ही सेवाओं के प्राप्तकर्ता को पूर्ण आईटीसी उपलब्ध हो या नहीं।

iii) एक वर्ष पूरा होने के बाद अनंतिम रूप से संलग्न संपत्ति की स्वतः बहाली का प्रावधान: परिषद ने सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 159 के उप-नियम (2) और फॉर्म जीएसटी डीआरसी-22 में संशोधन की सिफारिश की है ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि उक्त आदेश की तिथि से एक वर्ष की समाप्ति के बाद फॉर्म जीएसटी डीआरसी-22 में अनंतिम संलग्न संपत्ति का आदेश मान्य नहीं होगा। इससे आयुक्त के अलग से लिखित आदेश की ज़रूरत के बिना ही, एक वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद अनंतिम रूप से संलग्न संपत्तियों की बहाली सुगम हो सकेगी।

iv) आपूर्ति के स्थान से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर स्पष्टीकरण: परिषद ने निम्नलिखित सेवाओं की आपूर्ति के संबंध में आपूर्ति के स्थान को स्पष्ट करने के लिए एक सर्कुलर जारी करने की सिफारिश की है:

ऐसे मामलों में जहां आपूर्तिकर्ता का स्थान या सेवाएं प्राप्त करने वाले का स्थान भारत के बाहर है, वहां मेल या कूरियर सहित/द्वारा माल के परिवहन की सेवा की आपूर्ति;
विज्ञापन सेवाओं की आपूर्ति;
सह-स्थान सेवाओं की आपूर्ति।
v) सेवाओं के निर्यात से संबंधित स्पष्टीकरण जारी करने के संबंध में: परिषद ने एक सर्कुलर जारी करने की सिफारिश की है ताकि आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2 के खंड (6) के उप-खंड (iv) के प्रावधानों के अनुसार सेवाओं की आपूर्ति को, सेवाओं के निर्यात के रूप में अर्हता प्राप्ति के उद्देश्य से आरबीआई की अनुमति अनुसार विशेष आईएनआर वोस्ट्रो खाते में प्राप्त निर्यात प्रेषण की स्वीकार्यता को स्पष्ट किया जा सके।

vi) दिनांक 31.07.2023 की अधिसूचना संख्या 01/2023-एकीकृत कर में संशोधन के माध्यम से आईजीएसटी रिफंड मार्ग से अधिकृत परिचालनों के लिए एसईजेड इकाइयों/डेवलपर को आपूर्ति की अनुमति: परिषद ने दिनांक 31.07.2023 की अधिसूचना संख्या 1/2023-एकीकृत कर में संशोधन करने की सिफारिश की है जो 01.10.2023 से प्रभावी होगी, जिससे किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र के डेवलपर या विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाई के आपूर्तिकर्ताओं को अधिकृत परिचालनों के लिए अनुमत किया जा सकेगा, ताकि एकीकृत टैक्स के भुगतान पर अधिकृत परिचालनों के लिए किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र के डेवलपर या विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाई को वस्तुओं या सेवाओं (दिनांक 31.07.2023 की अधिसूचना संख्या 1/2023-एकीकृत कर में उल्लिखित पान मसाला, तंबाकू, गुटखा इत्यादि वस्तुओं को छोड़कर) की आपूर्ति की जा सके और वे भुगतान किए गए कर पर रिफंड का दावा कर सकें।

सी. कानून और प्रक्रियाओं से संबंधित अन्य उपाय:

i) प्रस्तावित जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरणों के अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति के संबंध में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के प्रावधानों को न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुरूप करना: परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 110 में संशोधन की सिफारिश की है, जिसमें व्यवस्था होगी कि:

दस वर्षों से वकील व्यक्ति जिसे अपीलीय न्यायाधिकरण, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर न्यायाधिकरण, राज्य वैट न्यायाधिकरणों, या अन्य नामों से ज्ञात न्यायाधिकरणों, उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में अप्रत्यक्ष कर कानूनों में मुकदमेबाजी का पर्याप्त अनुभव है, वह न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होगा;
अध्यक्ष और सदस्य के रूप में नियुक्ति हेतु पात्रता हेतु न्यूनतम आयु 50 वर्ष होनी चाहिए;
अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल क्रमशः अधिकतम 70 वर्ष और 67 वर्ष की आयु तक होगा।
ii) आईएसडी में कानून संशोधन, जैसा कि जीएसटी परिषद ने अपनी 50वीं बैठक में सिफारिश की थी: जीएसटी परिषद ने अपनी 50वीं बैठक में सिफारिश की थी कि सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 20 में निर्धारित आईएसडी (इनपुट सेवा वितरक) प्रक्रिया को भविष्य में अनिवार्य किया जाएगा, जो कि किसी तीसरे पक्ष से प्रधान कार्यालय (एचओ) द्वारा खरीदी गई इनपुट सेवाओं के संबंध में आईटीसी के वितरण के लिए होगी, लेकिन यह प्रधान कार्यालय (एचओ) और शाखा कार्यालय (बीओ) दोनों या विशेष रूप से एक या अधिक शाखा कार्यालयों की जिम्मेदारी में होगी। परिषद ने इस संबंध में अब सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2(61) और धारा 20 में संशोधन के साथ-साथ सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 39 में भी संशोधन की सिफारिश की है।

नोट: इस विज्ञप्ति में जीएसटी परिषद की सिफारिशों को हितधारकों की जानकारी के लिए सरल भाषा में प्रमुख निर्णयों के साथ प्रस्तुत किया गया है। इन्हें प्रासंगिक सर्कुलरों/अधिसूचनाओं/कानून संशोधनों के माध्यम से प्रभावी किया जाएगा, और केवल वे ही कानूनी रूप से सक्षम होंगे।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

 

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