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7वें राष्ट्रीय पोषण माह 2024 के 6ठे दिन तक 35 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 752 जिलों से 1.37 करोड़ गतिविधियों की खबर

गुजरात में गांधीनगर के महात्मा मंदिर में 31 अगस्त, 2024 को शुरू किया गया सातवां राष्ट्रीय पोषण माह बेहतर प्रशासन के लिए प्रौद्योगिकी के साथ-साथ एनीमिया, विकास की निगरानी, ​​पूरक आहार और पोषण भी पढ़ाई भी जैसे प्रमुख विषयों पर केंद्रित है। इस अभियान के तहत एक पेड़ मां के नाम पहल के जरिये पर्यावरण सस्टेनेबिलिटी पर भी जोर दिया गया है। इसमें सभी चालू 13.95 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में पौधारोपण को प्रोत्साहित किया जाता है।

इस राष्ट्रव्यापी आयोजन के 6ठे दिन तक 35 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 752 जिलों से 1.37 करोड़ गतिविधियों की सूचना मिली है। इसमें अब तक सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्यों में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

जहां तक इसके विषयों (या प्रमुख फोकस क्षेत्रों) का सवाल है तो अब तक एनीमिया पर 39 लाख से अधिक गतिविधियां, विकास की निगरानी पर केंद्रित 27 लाख से अधिक गतिविधियां, पूरक आहार संबंधी करीब 20 लाख गतिविधियां, पोषण भी पढाई भी विषय पर 18.5 लाख से अधिक गतिविधियां और एक पेड़ मां के नाम के जरिये पर्यावरण सस्टेनेबिलिटी पर 8 लाख गतिविधियां आयोजित की गई हैं। एक अन्य प्रमुख विषय है बेहतर प्रशासन के लिए प्रौद्योगिकी। इसके तहत डब्ल्यूसीडी के नामित पदाधिकारियों को करीब 10 लाख उन गतिविधियों को चिह्नित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिनका उद्देश्य आईसीटी ऐप्लिकेशन पोषण ट्रैकर से जुड़े पोषण संकेतकों और कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन एवं निगरानी में मदद करना है।

साल 2018 में देश के पहले पोषण केंद्रित जन आंदोलन की शुरुआत के बाद से ही विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित करना हमेशा जन आंदोलनों के केंद्र में रहा है। ऐसे तालमेल से विभिन्न प्रकार के लोगों और खास तौर पर जमीनी स्तर के लोगों तक पहुंचने में मदद मिलती है। इस पोषण माह में अब तक सबसे अधिक योगदान देने वाला मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय (एमओई) है, जिसकी 1.38 लाख गतिविधियां हैं। उसके बाद 1.17 लाख गतिविधियों के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएंडएफडब्ल्यू), 1.07 लाख गतिविधियों के साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), 69 हजार गतिविधियों के साथ आयुष मंत्रालय और 64 लाख गतिविधियों के साथ पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) पोषण माह 2024 के किसी न किसी विषय पर गतिविधियां आयोजित कर रहे हैं।

प्रत्येक विषयगत क्षेत्र के लिए निर्धारित गतिविधियों के अलावा राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश ऐसी अन्य संवेदनशील गतिविधियां आयोजित करने के लिए स्वतंत्र हैं जो उनके स्थानीय माहौल में सबसे अधिक उपयुक्त हों। अब तक दर्ज की गई प्रमुख गतिविधियों में बच्चों के लिए एनीमिया शिविर, किशोरियों (14 से 18 वर्ष) के लिए एनीमिया शिविर, विकास निगरानी पर संवेदनशीलता सत्र, विकास पैमाने का सत्यापन, प्रजनन आयु में महिलाओं के लिए एनीमिया शिविर, विकास माप अभियान (एसएएम/ एमएएम स्क्रीनिंग), पूरक आहार पर गतिविधि/ शिविर (6 महीने तक सुरक्षित, पर्याप्त एवं उचित पूरक आहार), शहरी झुग्गी बस्तियों पर आधारित एनीमिया शिविर सह आउटरीच गतिविधियां, स्थानीय खाद्य पदार्थों के जरिये पूरक खाद्य व्यंजन तैयार करने पर प्रदर्शन सत्र, एसएचजी, एनएसएस/ एनवाईके आदि एनीमिया से संबंधित आउटरीच गतिविधियां, पूरक आहार में आहार विविधता के लिए जागरूकता शिविर,  शिक्षा चौपाल विशेष रूप से आंगनवाड़ी केंद्रों पर ईसीसीई लर्निंग कॉर्नर को बढ़ावा देने के लिए एक पेड़ मां के नाम-  पर्यावरण संरक्षण पर शपथ के साथ पौधारोपण, स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के लिए खेल-आधारित अधिगम पर बच्चों एवं अभिभावकों के लिए प्रदर्शन सत्र/ गतिविधि, शहरी झुग्गी बस्तियों पर आधारित विकास मापन अभियान (एसएएम/ एमएएम स्क्रीनिंग), टॉयाथॉन- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ डीआईवाई/ स्वदेशी खिलौना बनाने की कार्यशाला, खिलौना आधारित एवं खेल आधारित अधिगम को बढ़ावा देने के लिए समुदाय केंद्रित खेलो और पढ़ो कार्यक्रम, गर्भवती महिलाओं के वजन बढ़ने के लिए मापन अभियान (गर्भकालीन वजन बढ़ना) एवं पोषण ट्रैकर में उसके आंकड़े को शामिल करना, गांव की सीमा के भीतर उपलब्ध विभिन्न खाद्य पदार्थों को उजागर करने के लिए आंगनवाड़ी केंद्र के फर्श पर खाद्य संसाधन मानचित्रण और प्रासंगिक विशेषज्ञों के साथ पर्यावरण संरक्षण पर आउटरीच गतिविधियां शामिल हैं।

सामुदायिक भागीदारी और सरकारी सहयोग से जुड़े राष्ट्रव्यापी एकीकृत दृष्टिकोण के साथ जारी इस पोषण माह के दौरान सुपोषित किशोरी सशक्त नारी के बारे में चर्चा हो रही है। साथ ही पोषण केंद्रित जन आंदोलनों के जरिये हरेक व्यक्ति को इसमें शामिल करने और संवेदनशील बनाने के लिए दूरदराज इलाकों तक पहुंच बनाई जा रही है।

स्रोत: पीआईबी

(अस्वीकरण: संदेशवार्ता डॉट कॉम द्वारा इस रिपोर्ट के केवल शीर्षक, तस्वीर और कुछ वाक्यों पर फिर से काम किया गया हो सकता है।)

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